“जिस गति से काम हो रहा है हमें लगता है कि सरकार उदासीन है, कुछ काम नहीं हो रहा है, उसका एक मुख्य कारण यह है कि हमारे प्रशासन को लगता है कि यदि हम प्रदूषण पर नियंत्रण की कोशिश करेंगे तो जो हमारा आर्थिक विकास, जो फैक्ट्रियों, कारखानों से हो रहा है वह रुक जाएगा जबकि यह सही नहीं है.”
As Delhi recorded an AQI of 494 on Monday, ThePrint speaks to Sunil Dahiya, founder and lead analyst at Envirocatalysts, environmental think tank, and Dr Sumit Ray, medical director and critical care specialist at Holy Family Hospital, to understand the debilitating health impacts of air pollution and the failure of the government to manage Delhi's annual pollution
Delhi’s annual air crisis has once again reared its ugly head in 2024 with this year marking a decade of killer pollution. The Delhi government has deployed several measures for curbing pollution such as smog towers and smoke guns.
Newslaundry’s Abhinandan Sekhri, Manisha Pande, Jayashree Arunachalam, and Raman Kirpal are joined by environment and air pollution expert Sunil Dahiya. Abhinandan remarks that “the most important news of the week is the north Indian smog”.
सर्दियों की दस्तक के साथ ही दिल्ली-एनसीआर समेत समूचा उत्तर भारत वायु प्रदूषण की ज़द में आ जाता है. हर साल सरकारें क़दम उठाने की बात कहती हैं लेकिन कुछ ख़ास नहीं बदलता. समाधान क्या है? इस बारे में पर्यावरण पर काम करने वाली स्वतंत्र संस्था 'एनवायरोकैटलिस्ट' के संस्थापक और लीड एनालिस्ट सुनील दहिया और द वायर की हेल्थ रिपोर्टर बनजोत कौर के साथ चर्चा कर रही हैं मीनाक्षी तिवारी.